Friday, May 14, 2010

जंगली पशुओं की हत्या पर प्रतिबंधप तो गाय पर क्यों नहीं



गौ हत्या प्रतिबंध के लिए गरजे संत

संजय स्वदेश
 
नागपुर। कुरुक्षेत्र (हरियाण)से निकली विश्वमंगल गो ग्राम यात्रा देशभर में 108 दिनों में करीब 25 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर नागपुर पहुंची। नागपुर के रेशिमबाग मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में समापन हुआ। यात्रा 30 सितंबर से स्वामी राघेश्वर भारती के नेतृत्व में निकली थी। रेशिमबाग पर हजारों लोग उपस्थित हुए। गाय के प्रति श्रद्धा दिखाई। प्रदर्शनी परिसर दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। मंच पर आए दिग्गज संतों ने एक सुर में देश में गौ-हत्या पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। उन्होंने उपस्थित लोगों से सकाहारी होने का आह्वान किया। 

भाई चारे से रूकेगी गौ-हत्या : मोहन भागवत
समारोह में समरोह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पहले जब गाय की बात होती थी, तो लोग इसे पिछड़ी हुई बात मानते थे। लेकिन विश्वमंगल गो-ग्राम यात्रा से लगता है कि आज गाय पर चर्चा गौरव की बात है। समाज में गौ-हत्या आपसी भाई चारे से रूकेगी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सुख और समानता से आती है। यह बंधुता पैदा करने वाला ग्राम है। ग्राम जीवन का नेतृत्व विकेंद्रीकृत रहता है। यह जीवन प्रदूषण से मुक्त रहता है। क्योकि ग्रामीण जीवन प्रकृति का मित्र होता है। इसलिए गांव में मनुष्य मनुष्य को पहचानता है। इसलिए यहां समानता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि गौ-हत्या से प्रकृति को हानी है। इसलिए प्रकृति का नुकसान को रोकना जरूरी है। भागवत ने कहा कि सन् 1707 से पहले भारतीय समाज धनधान्य से संपन्न था। भारत से ही दुनियाभर में धान की 5 हजार प्रजातियां गईं। 

जंगली पशुओं की हत्या पर प्रतिबंधप तो गाय पर क्यों नहीं : रामदेव बाबा
योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि देश में विदेशी आक्रमणकारी आए। सोना-चांदी लूट कर ले गए। लेकिन गाय की हत्या नहीं की। पर आज अजाद भारत की सरकार गो हत्या को लेकर चुप है। सरकार ने कई जंगली पशुओं के हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया है। फिर गाय की हत्या पर प्रतिबंध क्यों नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा कि गाय के मांस के व्यापार से पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। गाय के मांस को खुले में एक जगह से दूसरे जगह नहीं रखा जा सकता है। इसे रेफिजरेटर में रख कर कई दिनों तक उपयोग किया जाता है। रेफिजरेटर से उत्सर्जित होने वाला गैस पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायी है। उन्होंने आमजनमानस से अहिंसा परमोधरम: का अह्वान करते हुए शकाहारी होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गो वंश का आर्थिक पक्ष बेहद महत्वपूर्ण है। 

समाज की सारी कहावतें भौंस पर : राघेश्वर भारती
स्वामी राघेश्वर भारती ने कहा कि पशुओं में गाय भी दूध और गोबर देती है, लेकिन उसके दूध और गोबर का उतना महत्व नहीं है जितना कि गाय का है। दिगंबर जैन साधु गाय के कंडे से बने भोजन को ही ग्रहण करते हैं। क्योंकि गाय का गोबर शुद्ध होता है। भैंस के गोबर में दूसरे जीवन जन्म ले लेते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में जितनी भी कहावते हैं, वह सब भैंस के उपर है। गाय समाज में श्रद्धा का प्रतीक रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गाय की विशेष महत्व रहा है। समाज में यह विश्वास रहा है कि जिस घर में गांव रंभाती हैं, उस घर का गौरव बढ़ता है। उन्होंने कहा कि आज गाय सड़कों पर कचरा खाकर जी रही है। कचरे के साथ वह प्लास्टिक की थैलियां भी खाती है। लेकिन प्लास्टिक में यह कचरा कौन फेकता है। उन्होंने कहा कि रसोई संभालने वाली माताएं रसोई के कचरे को प्लास्टिक में जमा कर घर से बाहर फेंकती है। उसी कचरे को खाने के लिए गाय प्लास्टि की थैली खा जाती है। गोकर्ण पीठ के शकराचार्य विद्याभारती ने कहा कि में अनेक समस्याएं हैं। लोग समाधान खो चुके हैं। गोपालन से हर विषय में समाधान पाई जा सकती है। खेती के लिए जैविक खाद, गाय और बैलों का उपयोग होना चाहिए। 

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