विपत्ति मे या कीचड मे फॅसी हुई या चोर तथा बाघ आदि के भय से व्याकुल गौ को क्लेश से मुक्त कर मनुष्य अवमेधयज्ञ का फल प्राप्त करता है रुग्णावस्था मे गौओ को औषधि प्रदान करने से स्वंय मनुष्य सभी रोगो से मुक्त हो जाता है गौओ को भय से मुक्त कर देनेपर मनुष्य स्वय भी सभी भयो से मुक्त हो जाता हे चण्डाल के हाथ से गौको खरीद लेनेपर गोमेधयज्ञ का फल प्राप्त होता है तथा किसी अन्य के हाथ से गायको खरीदकर उसका पालन करन से गोपालक को गोमेधयज्ञका ही फल प्राप्त होता है। गौओ की शीत तथा धूप से रक्षा करनेपर स्वर्ग की प्राप्ति होती है। गौओ के उठने पर उठ जाय और बैठने पर बैठ जाय। गौओं के भोजन कर लेनेपर भोजन करे और जल पी लेने पर स्वय भी जल पीये। गो मूत्र् से स्नान करे और अपनी जीवन यात्रा का गोदुग्ध पर अथवा गोमय से निस्रत जौ द्वारा निर्वाह करे । इसी का नाम गोव्रत है। 6 माह तक ऎसा करने वाले गोव्रती के सम्पुर्ण पाप सर्वथा नाश हो जाते है।
Monday, May 31, 2010
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