जो पुरुष गौओ की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है | गौए उसे अत्यन्त दुलर्भ वर प्रदान करती है। गौओ के साथ मनसे भी द्रोह न करे उन्हें सदा सुख पहुचाए उनका यथोचित सत्कार करे ओर नमस्कार आदि के द्वारा उनकी पूजा करे। जो मनुष्य जितेन्द्रिय और प्रसन्नचित्त होकर नित्य गौओ की सेवा करता है वह समर्द्धि का भागी होता है।
Monday, May 31, 2010
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